मनोरंजन

गति करें दुर्गति – सुनील गुप्ता

( 1 )” गति “, गति

करे सदैव दुर्गति ,

पहुँचाए जन धन की ख़ूब क्षति  !

और मारी जाए मानव की जब मति …..,

तब-तब पहुँचाए ये सभी को नुकसान अति !!

( 2 )” करें “, करें

ना गति तेज,

और अतिरेक विश्वास में यहाँ पे ना जीएं  !

सदैव ही डूबता आया एक अच्छा तैराक ……,

जो परिस्थितियों का सही आंकलन कर ना पाए !!

( 3 )” दुर्गति “, दुर्गति

सदा वहीं होए,

जहाँ स्वयं ही दुस्साहस पे उतर आएं  !

अतः कभी ना करें ऐसी गलती जीवन में…,

और रखते स्वयं पे नियंत्रण ,आगे बढ़ते चले जाएं !!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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