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यौवन नही जाता – झरना माथुर

उम्र हो गयी है चालिस के पार,

नैना भी हो गये है अब चार,

बालों में चमक है चाँदनी की,

चेहरे में  अब कमी है नूर की,

पर क्या करूं मैं जनाब आज भी,

इस दिल से ये यौवन नही जाता।

 

हँसरते है उमंगे है आज भी,

जोश में कमी नहीं है आज भी,

खा रहे दवाये बीमारी की,

वो करते जो जरूरत है काम की,

पर क्या करूं मैं जनाब आज भी,

इस दिल से यौवन  नही जाता।

 

आईने को निहारते है अभी,

अपने को कम ना पाते है अभी,

पार्लर जाते है खुद सँवारने को,

फैशन सूट नही इस मोटापे को,

पर क्या करूं मैं जनाब आज भी,

इस दिल से ये यौवन नही जाता।

 

सास बन गये अब बहू आ गयी,

लोगों ने कहा अब बुजुर्ग हो गये,

ये ही बात हमको कुछ  बुरी लगी,

फिर क्या घर में कंपटीशन लगी,

पर क्या करूं मैं जनाब आज भी,

इस दिल से यौवन नही जाता।

– झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड

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