मनोरंजन

गजल – ऋतु गुलाटी

गम न सहना प्रेम के अधिकार सारे चुन लिये,

जिंदगी जी आज तो  उपहार सारे चुन लिये।

 

आज की औरत पढी है,होशियारी से चले,

उसने अब हक के लिये अधिकार चुन लिये।

 

बाँटना सब  चाहते है प्यार की इक डगर को,

मानते ना लोग अब हथियार सारे चुन लिये।

 

लोग माने क्यो नही बेटी  भला करती सदा,

छोड़कर हक बेटियाँ, परिवार सारे चुन लिये।

 

गिर रहा है आदमी खोता है वो ईमान भी।

झूठ रीतू बोलते, किरदार सारे चुन लिये।।

– रीतू गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

Related posts

कविता – मधु शुक्ला

newsadmin

पगला कहीं का (कहानी) – डॉ. सुधाकर आशावादी

newsadmin

गिरता बौद्धिक स्तर – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment