मनोरंजन

बसंत आया – सुनील गुप्ता

आया बसंत

खिली मन बगिया…,

झूमा आँगन  !!1!!

 

मन मयूर

चला नाचे हर्षाए…,

प्रेम मगन !!2!!

 

खिलखिलाते

भरूं मन व्योम पे…..,

ऊँची उड़ान  !!3!!

 

चलें हवाएं

मकरंद से भरी…,

करूँ सृजन  !!4!!

 

मन सुमन

चढ़ा श्रीचरणन….,

जपूँ भजन !!5!!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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