क्या किया यार तूने हुए है गिले,
कुछ न सोचा बदल अब गये रास्ते।
नाम तेरा लबो से मिटाते रहे,
दर्द भीतर सहा,मुस्कुराते रहे।
जिंदगी प्यार का गीत गाने लगी,
मिल खुशी से तराने सुनाने लगे।
चाँदनी चुनरी ओढे सितारो भरी,
आज इठलाती सी वो मचलती फिरे।
दर्द तूने हमे यार क्यो अब दिया,
आ गये बिन वजह क्यो अजी फासले।
क्यो न समझा मेरे आज जज्बात को,
भर दिये आँख मे यार आँसू बड़े।
ढूँढती रात से चाँदनी चाँद को,
चाँद पूनम का निकला गगन के तले।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़