तुमने देखा जब पलट के ओये होए ।
तुम लगे ओरों से हटके ओये होए ॥
साँसें तो रुक ही गयीं थीं क्या कहूँ ।
दिल ने मारे तीन झटके ओये होए ॥
नम्बरों की अदला बदली हो गयी ।
मैं भी पगला वो भी पगली हो गयी ॥
पेट्रोलिंग दिन रात गलियों मे हुई ।
पहनकर हेलमेट भटके ओये होये ॥
तुमने देखा ……………………………
आँख ही आँखों में कई दिन बात हुई ।
छत पर सुबह और छत पर रात हुई ॥
इक दिन मिलना था कि कोई आ गया ।
और हम पाइप पे लटके ओये होए ॥
तुमने देखा ……………………………
नीचे मधुमक्खी का छत्ता दिख रहा ।
ऊपर एक आरी का पत्ता दिख रहा ॥
ओह! पजामे की सिलाई भी गयी ।
खुल गयी म्यानी भी फटके ओये होये ॥
तुमने देखा ……………………………
लो हथेली में पसीना आ गया ।
इश्क देखो किस तरह फिसला गया ॥
मैं ही जानूं कैसे गुजरी रात वो ।
राम जी का नाम रट के ओये होये ॥
तुमने देखा ……………………………
– भूपेन्द्र राघव , खुर्जा, उत्तर प्रदेश