मनोरंजन

दोहे – स्वाति शर्मा

रंग राग रंगीनियाँ ,कैसे छोड़े ढीठ,

काज करे बदन दुखे, डूबे मदिरा मीठ।

 

पढ़ पढ़ पोथी जग मुऑ, क्यूँ करना उत्पात,

असली ज्ञान इन्टरनेट, अनपढ़ को सौगात।

 

एक चंदन की टोकरी, बैठो सर्प विशाल,

बालक  मन चंदन भया, इन्टरनेट है व्याल।

 

काग़ज़ कितना पोथियों, बैठे भर भर ज्ञान,

जो गर मन हो बावरा, सब ढूंढे पहचान।

– स्वाति शर्मा , Sector-134, नोएडा, उत्तर प्रदेश

Related posts

गुरुदेव – डॉ० जसप्रीत कौर फ़लक

newsadmin

हर्षित तितलियाँ – रश्मि मृदुलिका

newsadmin

ग़ज़ल – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

Leave a Comment