चलो चलते वहीं हम जानम जहाँ कोई नही होता,
दिलों को जोड़ लेगे फिर गुलो-गुलज़ार के किस्से।
इश्क़ औ खुशबू जिसे गुल भी छुपा सकते नही,
यूं समझ लो खिलखिलाता क़हक़हा ऋतुराज है।
जो तुम्हारे साथ गुज़री वो उमर अच्छी लगी,
लौटकर आता नही जो वो ज़माना याद है।
रब तुम्हे सदा खुशियों की सौगात दे,
तुम्हारे कदमों में फूलों की बरसात दे।
आँसू ना आये तुम्हारी आँखों में कभी,
जब भी दे वो खुशियों के जज्बात दे।
– कमल धमीजा, फरीदाबाद, हरियाणा