मां
तू मेरी
निगाहों के कोने में
बसी हर बूंद में शामिल है!
मां
तू मेरी
सांसो की लड़ियों के
हर मोती में शामिल है!
मां
तू मेरी
पलकों पर सजे ख्वाब
उसकी हर दिशा में शामिल है!
मां
तू मेरी
मंज़िल के रास्ते में
बदलती हर फिज़ा में शामिल है!
मां
तू मेरी
कामयाबी के हर अर्श
हर फर्श के पत्थर में शामिल है!
मां
तू मेरी
अंगुलियों से लिखते
हर लफ्ज़ की स्याही में शामिल है!
मां
तू मेरी
नींद के
हर सुकून भरे तकिए में शामिल है!
मां
तू मेरी
सफल सफर की राह पर
उठते हर कदम में शामिल है!
मां
तू मेरी
डूबती कश्ती और मंझधार में
साहिल तलाशती पतवार सी शामिल है!
मां
तू मेरी
कलम को
खिलौना ना समझ
इसके हर निशान में तू शामिल है!
मां
तू मेरी बात समझ ना पाई है,
ना मैं कह पाई हूं
न तू सुन पाई है,
तेरी राह से मैं
और मेरी राह से तू
जुदा नहीं,
बन हमसफर शामिल हैं!!
मेरे हौंसले,
मेरे स्वाभिमान,
मेरे आत्म विश्वास,
मेरे हर मुकाम पर तेरा नाम,
मां तुझे सलाम !
– डॉ मेघना शर्मा, बिकानेर, राजस्थान