आदि कवि ने बखानी , राम नाम की कहानी ,
सभ्यता के मापदंड छापते हैं राम जी ।
लोक लाज के विचार , सामाजिक व्यवहार ,
नीति या कुरीतियों को नापते हैं राम जी ।।
सत्यगामी हो समाज,आरती हो या नमाज़ ,
भक्ति ,योग साधना को भाँपते हैं राम जी ।
कभी शांति की मिसाल , कभी क्रांति की मशाल ,
युग चेतना की आग तापते हैं राम जी ।।
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून