बातचीत का अब दौर गया,
डिजिटल का आया जमाना।
सब अपने फोन में मस्त मगन,
बैठकर मैसेज पढ़ना मुस्काना ।
राम राम और आशीष पैलगी,
सब डिजिटल की भेंट चढ़े।
मुंह से बोलने की रीति रही न,
सब के लिए हैं इमोजी गढ़े।।
‘हरी’ दुनिया डिजिटल हो रही ,
फिजिकल का बचा न ताना बाना,
हमने इतनी कर ली तरक्की,
बस बचा है डिजिटल पीना खाना।।
– हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश
(स्वतंत्र लेखक – 7087815074)