कैसा लगा ये न्याय लो मारा गया अतीक ।
अपराध का पर्याय लो मारा गया अतीक ।
मुद्दत से तमन्ना लिए था आम आदमी ,
अब ख़त्म ये अध्याय लो मारा गया अतीक ।
कानून अपनी जेब में रखता था जो कभी ,
कैसे मरा असहाय लो मारा गया अतीक ।
आदित्य नाथ देव की ऐसी नजर लगी ,
समझो सही अभिप्राय लो मारा गया अतीक ।
कुछ राजनैतिक लोग तो रोने लगे मियां ,
पर खुश हुआ समुदाय लो मारा गया अतीक ।
भाई मरा बेटा मरा गायब है अहलिया ,
साधन हुए निरूपाय लो मारा गया अतीक ।
दर्ज़ा मसायल भाँप के “हलधर” कही ग़ज़ल ,
अब होत क्या पछताय लो मारा गया अतीक ।
– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून