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भारत-चीन (लद्दाख विवाद) – जसवीर सिंह हलधर

सीमा पर पकड़ बनाने को ,

भारत पर अकड़ दिखाने को ।

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने  को ।।

 

खुल गया माथ संसय लेखा ,

टूटी अतिक्रमण की रेखा ।

अपनी सीमा की रक्षा में ,

सेना  तत्पर  हर कक्षा में ।

लद्दाखी मानस दिखे विकल,

सैना भारत की गयी संभल ।

ड्रैगन तन कर के खड़ा हुआ ,

दादा बन कर के अड़ा हुआ ।

भारत की सेना पहुँच गयी ,

ड्रैगन को सबक सिखाने को ।

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने  को ।।1

 

लेकिन वो जिद कर बैठा था ,

उल्टा भारत पर ऐंठा था ।

सेनायें सम्मुख आयीं थी,

आपस में हाथा पायी थी।

लड़ने को वो तैयार खड़ी,

रण चंडी पैर पसार खड़ी ।

टुकड़ी लेकर कर्नल धाये ,

ड्रैगन को समझाते पाये ।

बोले शांति का दूत मान ,

आया विध्वंश बचाने को ।

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने  को ।।2

 

अपना पूरा रुख जता दिया ,

सीधे शब्दों में बता दिया ।

भारत ना बासठ वाला है ,

अब तेरे लिये उठाला है ।

भारत की टीस बढ़ायेगा ,

टुकड़े टुकड़े हो जायेगा ।

यदि मर्यादा तू तोड़ेगा ,

अपनी ही किस्मत फोड़ेगा ।

मैं बुद्ध भूमि से आया हूँ ,

तेरा मन शुद्ध कराने को ।

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने को ।।3

 

फिर घाटी में कोहराम हुआ ,

हथियार रहित संग्राम हुआ ।

उनकी पहले तैयारी थी ,

छोटी सी फौज हमारी ।

संग्राम हुआ पूरी रजनी ,

हथियार लिए थे वो वजनी ।

दे गए बीस सैनिक जीवन ,

चालीस चीन के हुए दफन ।

पूरी दुनियां को बता गए ,

तैयार मार मिट जाने को ।

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने को ।।4

 

भारत ना रुकने वाला है ,

सम्मुख ना झुकने वाला है ।

गिलवान नहीं घुस पायेगा ,

अक्साई भी दे जायेगा ।

पर धोखेबाज नहीं माना ,

समझौते का तोड़ा ताना ।

धोखे से हमला बोल दिया ,

संधि का बंधन खोल दिया ।

सरियों डंडों को हाथ लिए ,

कायर आये धमकाने को ।

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने को ।।5

 

अब आगे की तैयारी है ,

सेना तैयार हमारी है ।

छोड़ेंगे हम गिलवान नही ,

बेसक हो जाय लाल नदी ।

यदि बात समझ में ना आयी,

तो रोयेंगी चीनी मायी ।

बोटी बोटी कट जायेंगे ,

हम इंच नहीं हट पायेंगे ।

बच्चा बच्चा तैयार खड़ा ,

भारत माँ पर मिट जाने को ।

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने  को ।।6

 

जल सेना ताकत जानी नहीं ,

थल सेना आफत जानी नहीं !

जाटों का हमला देखा नहीं ,

सिक्खों का अमला देखा नहीं !

गढवाली देखे ना लड़ते ,

रण चंडी खप्पर ले चढ़ते !

तू मर्द मराठे देख जरा ,

यदुवंशी पटठे देख जरा !

गुरखों का टोला आता है ,

चंडी पर भेंट चढ़ाने को !

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने को ।।7

 

तूने भारत को जाना ना ,

तू सही सही पहचाना ना !

राणा के वंशज देख खड़े ,

अकबर के अंशज देख खड़े !

घट घट में राम की वर्षा है ,

हर परशुराम कर फरसा है !

वो धरा लाल हो जाएगी ,

कल का सवाल हो जाएगी !

पूरी दुनियाँ फिर कोसेगी ,

चीनी की जात मिटाने को !

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने को ।।8

 

ये इतना भीषण रण होगा ,

दोनों के लिये क्षरण होगा !

धरती अंबर सब डोलेंगे ,

शिव नेत्र तीसरा खोलेंगे !

जब मान सरोवर में शंकर ,

फूटेंगे हो कंकर कंकर !

धरती पानी पानी होगी ,

तेरी ज्यादा हानि होगी !

भारत की ताकत का तुझको ,

आया अंदाज कराने को !

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने को ।।9

 

हुंकार तू सुन ले रघुपति की ,

फुँकार तू सुन ले नगपति की !

जापान लड़ेगा भारत संग ,

दक्षिण कोरिया भी करे जंग !

तेरी गति वापस मोडन को ,

तैयार ट्रम्प मुँह तोड़न को !

न चिन्न तेरा बच पायेगा,

तू छिन्न भिन्न हो जाएगा !

वंशज हूँ विश्व गुरु का मैं ,

आया हूँ पाठ पढाने को !

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने  को ।।10

 

झगड़ा ना देखे ओर छोर ,

ना बात द्वेष की बढ़ा और !

कुछ हासिल ना कर पाएगा ,

व्यापार ठप्प हो जाएगा !

दोनों की जनसंख्या भारी ,

दोनों की बड़ी ज़िम्मेदारी !

यह धरा हरी सिंह नलवा की ,

कविता “हलधर”जट कलवा की।

सब देश ताक में बैठे हैं ,

हम दोनों के भिड़ जाने को !

लद्दाख क्षेत्र की सरहद पर ,

आया क्यों धौंस जमाने  को ।।11

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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