बसंत ऋतु आ गई।
मौसम में बहार छा गई।।
मस्ती भरी शीतलता को छोड़।
अब धूप भी लहरा गई।।
अब जाड़ा और ठिठुरन विदा हो रहे।
और द्वार पर गर्मी आ गई ।।
बसंत ऋतु आ गई।
मौसम में बहार आ गई ।।
अब पेड़ पौधों में मस्ती छा गई ।
पतझड़ की बहार आ गई।।
अब वृक्षों से पुराने पत्ते गिरेंगे ।
हरे भरे फिर नए-नए पत्ते खिलेंगे।
अब गर्मी आंख दिखा रही ।।
बसंत ऋतु आ गई ।
मौसम में बहार छा गई।।
– राजेश कुमार झा, बीना. मध्य प्रदेश