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कविता – जसवीर सिंह हलधर

 

देवता आहत हुए हैं आदमी लाचार अब ।

हिंदुओं के ख़ून से छपने लगे अख़बार अब ।।

 

राजनेता ही बढ़ाते दिख रहे अलगाव को ।

फूँकने पर हैं आमादा देश के सदभाव को ।

तीन सौ सत्तर पुनः वो लाएंगे  कश्मीर में ,

हर गली हर मोड़ पर बैठे हुए मक्कार अब ।।

हिंदुओं के ख़ून से छपने लगे अख़बार अब ।।1

 

हो रहे सैलानियों पर गोलियों से आक्रमण ।

मज़हबी उन्माद का दिखने लगा नंगा चरण ।

पूर्णता की ओर जिनका नाश जाता दिख रहा ,

राजनेता मानसिक रोगी बहुत बीमार अब ।।

हिंदुओं के ख़ून से छपने लगे अख़बार अब  ।।2

 

आमजन भयभीत है आतंकवादी वार से ।

आदमीयत दूर है कश्मीर में व्यवहार से ।

सोच गंदी दिख रही बंगाल में पंजाब में ,

राजनेता हो गए हैं कौम के गद्दार अब ।।

हिंदुओं के ख़ून से छपने लगे अख़बार अब ।।3

 

हम नया भारत बनाने के सपन गढ़ते रहे ।

वो हमारे वक्ष पर इस आढ़ में चढ़ते रहे ।

वक्त आता दिख रहा है फैसला कुन जंग का ,

युद्ध को तैयार ‘हलधर’ साथ रख हथियार अब ।।4

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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