देवता आहत हुए हैं आदमी लाचार अब ।
हिंदुओं के ख़ून से छपने लगे अख़बार अब ।।
राजनेता ही बढ़ाते दिख रहे अलगाव को ।
फूँकने पर हैं आमादा देश के सदभाव को ।
तीन सौ सत्तर पुनः वो लाएंगे कश्मीर में ,
हर गली हर मोड़ पर बैठे हुए मक्कार अब ।।
हिंदुओं के ख़ून से छपने लगे अख़बार अब ।।1
हो रहे सैलानियों पर गोलियों से आक्रमण ।
मज़हबी उन्माद का दिखने लगा नंगा चरण ।
पूर्णता की ओर जिनका नाश जाता दिख रहा ,
राजनेता मानसिक रोगी बहुत बीमार अब ।।
हिंदुओं के ख़ून से छपने लगे अख़बार अब ।।2
आमजन भयभीत है आतंकवादी वार से ।
आदमीयत दूर है कश्मीर में व्यवहार से ।
सोच गंदी दिख रही बंगाल में पंजाब में ,
राजनेता हो गए हैं कौम के गद्दार अब ।।
हिंदुओं के ख़ून से छपने लगे अख़बार अब ।।3
हम नया भारत बनाने के सपन गढ़ते रहे ।
वो हमारे वक्ष पर इस आढ़ में चढ़ते रहे ।
वक्त आता दिख रहा है फैसला कुन जंग का ,
युद्ध को तैयार ‘हलधर’ साथ रख हथियार अब ।।4
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून