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रंगों की फुहार भरी काव्य गोष्ठी संपन्न

Neerajtimes.com जबलपुर – बासंती बहार,रंगों की फुहार सशक्त हस्ताक्षर की 34वीं काव्य गोष्ठी श्री जानकी रमण महाविद्यालय में सानंद सम्पन्न हुई।  प्रथमतः संस्थापक गणेश श्रीवास्तव प्यासा ने सभी अतिथियों, साहित्यकारों का अपनी वाणी से अभिनंदन किया ၊ सरस्वती वंदना सस्वर प्रकाश सिंह ठाकुर प्रकाश ने की।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार से विभूषित शिक्षाविद् डॉ. संध्या जैन श्रुति, अध्यक्षता महामहोपाध्याय आचार्य डॉ. हरिशंकर दुबे, विशिष्ट अतिथि बालमुकुंद लखेरा ढीमर खेड़ा, प्रदीप गुप्ता वानप्रस्थ ग्रुप के  संस्थापक, सारस्वत अतिथि राजेश पाठक प्रवीण मंचमणि,मंगल भाव डॉ. विजय तिवारी किसलय के रहे।

इस शुभ अवसर पर सशक्त हस्ताक्षर द्वारा डॉ. संध्या जैन श्रुति को साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों हेतु, एवं बालमुकुंद लखेरा को सशक्त हस्ताक्षर की गोष्ठी में नियमित उपस्थिति व प्रस्तुति हेतु शाल,कलमश्री, मानपत्र भेंट कर  साहित्य सेवा सम्मान प्रदान किया गया ၊ मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते बताया होली स्नेह और प्रेम का त्यौहार है ၊ डॉ. हरिशंकर दुबे ने सद्भाव का उत्सव बताया।

अधिकांश कविताओं में मधुमास की सुंदर छटा और होली के रंगो में पगी प्रस्तुतियाँ रही।  गोष्ठी की शुरुआत भेड़ा घाट से पधारे कुंजीलाल चक्रवर्ती निर्झर ने हास्य व्यंग्य से भरपूर रचना पढ़कर सबको खूब गुदगुदाया। बालमुकुंद लखेरा, कछार गाँव से पधारे अखिलेश खरे अखिल ने पचेली के सुंदर दोहे पढ़े। इंद्राना से पधारे इंद्रसिंह राजपूत ने शानदार प्रस्तुति दी। महासचिव गुलजारी लाल जैन ने हास्य व्यंग्य से खूब हंसाया ၊ अध्यक्ष मदन श्रीवास्तव,सुशील श्रीवास्तव की प्रस्तुतियाँ प्रभावपूर्ण रहीं। आकाशवाणी कलाकार लखन लाल रजक ने भी खूब तालियाँ बटोरी। प्रकाश सिंह ठाकुर, उमेश साहू ओज, अमर सिंह वर्मा ने लगातार मंच को ऊंचाईयाँ देते रहे ၊ कालीदास दास ताम्रकार  काली ने भी खूब हंसाया। युवा कवि ने इश्क भी एक रंग पर शानदार रचना पढ़ी आरती श्रीवास्तव की प्रस्तुति बासंती छटा पर थी ၊ ज्योति प्यासी की रचना वियोग श्रृंगार  से भरपूर दिल से सृजित थी। संदीप खरे युवराज ने देश, समाज में व्याप्त बिडम्बाओं का कारण कुर्सी को बताया। सलाहकार कवि संगम त्रिपाठी की रचना देश भक्ति के रंग से भरपूर रही। डॉ. संध्या जैन श्रुति, राजेश पाठक प्रवीण, डॉ विजय तिवारी किसलय ने मंच को चरम ऊँचाईयों पर पहुंचाया। आलोक पाठक की गरिमामय उपस्थिति रही। संचालन गणेश श्रीवास्तव प्यासा, आभार प्रदर्शन मदन श्रीवास्तव ने किया।

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