मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

प्यार मेरा आजमाना छोड़ दे,

दूर जाने का बहाना छोड दे।

 

खुल के जीना जिंदगी को आज तू,

झूठ की रौनक को लाना छोड़ दे।

 

जिंदगी को जी जरा स्वाभिमान से,

वक्त जैसा, सिर झुकाना छोड़ दे।

 

उम्र भर जिसको था खोजा रात दिन,

दोस्त मेरे दूर जाना छोड़ दे।

 

रात दिन देखूँ अरे सपने तेरे,

अब मेरी यादो मे आना छोड़ दे।

 

अलविदा हमने किया यादों को अब,

यार मुझको झूठी कहना छोड़ दे।

 

मानता खुद को अगर खुद्दार तू,

पाप की दौलत कमाना छोड़ दे।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

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