मैं एक शब्द
चलूँ बोध कराता,
मन का द्वंद्व !! 1 !!
शब्द शब्द में
है समाया रहस्य,
इसे समझें !! 2 !!
हूँ या कि नहीं
कैसी मनःस्थिति,
आंकें तो सही !! 3 !!
मैं शब्द बोलूँ
लिए भाव गहरे,
चेहरे पढ़ूंँ !! 4 !!
मैं शब्द हूँ , जी
चेतनता से भरा,
जरा जानें भी !! 5 !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान