मनोरंजन

संघर्ष – जितेंद्र कुमार

चल पड़े हैं अकेले हम जिस राह पर,

ना कोई साथी न ही कोई हमसफ़र,

अब मुझे जुगुनुओ की जरूरत नहीं,

जीत जाएंगे हम तो अकेले सफर ll

 

रास्ते हैं कठिन और कांटों से भरे,

उसे पर चलकर ही तुम पूर्ण करना सफर,

अब तुम्हे अकेलेपन से डरना नहीं,

जल्द ही पूरा होगा तुम्हारा सफरl

 

हर तरफ है अंधेरों की रुसवाईयाँ

हमने देखा  मुकद्दर को रूठें यहाँ

अब मुझे असफलता से डरना नहीं

हौसलों से लिखेंगे हम गाथा यहाँ l

 

सागरों ने सिखाया है गहराइयाँ,

रास्तों ने सिखाया है कठिनाइयाँ,

अब मुझे दुख से लेना न देना यहाँ,

कांटों के बीच फूलों ने हँसना दिया ll

– जितेंद्र कुमार सिंह , गोरखपुर, उतर प्रदेश

Related posts

मां – शोभा नौटियाल

newsadmin

सत्यवान ‘सौरभ’ की पुस्तक तितली है खामोश : अनुभवों का यथार्थ चित्रण (पुस्तक समीक्षा)

newsadmin

“जिंदगी से जंग जीतेंगे हम” नामक पुस्तक अमेज़न पर उपलब्ध : संदीप कुमार

newsadmin

Leave a Comment