प्यार से घर में निभाना चाहिए,
गलतफहमी को मिटाना चाहिए।
सच से परदा अब हटाना चाहिए,
झूठ को माटी मिलाना चाहिए।
जिंदगी खुशहाल देखो अब हुई,
दिल मे तेरे अब ठिकाना चाहिए।
बढ़ गया है पाप जग मे अब बड़ा,
पाप को जग से मिटाना चाहिए।
बात दिल मे जो छुपी कह दो जरा,
यार को धोखा न देना चाहिए।
जंग को अब जीतकर घर आ गये,
जश्न अब हमको मनाना चाहिये।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़