हाय नजरो को झुका सा देखना,
प्रेम को आँखो मे सिमटा देखना।
आज फैला था उजाला प्रीत का,
हर तरफ चाहूँ उजाला देखना।
हाय तन्हाई ने मारा आज तो,
जो डराता दिल को साया देखना।
प्यार हमसे अब किया है आपने,
दिल नही टूटे हमारा देखना।
टीस देती दिल को मेरे आज तो,
आपका मुड़ कर दोबारा देखना।
अब चढे है रंग दुनिया के भले,
इश्क तेरा यार चढ़ता देखना।
दिल बड़ा तड़पा है बस तेरे लिये,
साथ तेरा बस मिले ऋतु देखना।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़