जरा तू पास आ मेरे,ये दिल तड़पा है मिलने को,
मेरी नजरो को,पढ़ लेना,तड़प दिल की समझने को।
मिला है प्यार जब तेरा, है अरमां अब लिपटने को,
फिदा क्यो हो गये हम पर, जरा हमको निखरने को।
जुबाँ को बंद कर अपनी जरा तू पास आ मेरे,
मेरी खामोशियाँ पढ लो तड़फ मन की समझने को।
लगे तुम खूबसूरत भी,करे दिल आज नाचूँ मैं,
नही मुमकिन मिले तुमसे, लगे हम अब बहकने को।
चलो छोडो, यकीं करना, बने जो रहनुमा तेरे,
बचा लो देश को अपने,हैं वो तैयार लूटने को।
कभी आँखें लुभाती हैं कभी छूते हो लब ऋतु के,
बना लो आइना मुझको,बड़ा अच्छा सँवरने को।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़