( 1 ) प्यार
की पहली नजर,
अभी भी है स्मृतियों में बनीं !
थी वो जीवन की, बड़ी कठिन डगर…,
और कुछ पल गयीं थी, ठहर नजर वहीं !!
( 2 ) प्यार
की वो डगर,
थी बहुत ही, हिचकोले देने वाली !
करती रही वो पल-पल नीचे ऊपर….,
और अंत में रह गए हमारे हाथ खाली !!
( 3 ) प्यार
करते रहे बेशुमार,
पर, कह न सके, खुलकर कभी !
बस, सजाए रहे, दिल में तसव्वुर….,
और हम छोड़ते चले किस्मत पे सभी !!
( 4 ) प्यार
की हुई सहर,
और बीत चुके जीवन के सभी अँधेरे !
खोल चले अब, दिनकर हरेक द्वारे…..,
और मुस्कुराए चल दिए, शुभानन प्यारे !!
( 5 ) प्यार
है शीतल बयार,
जो चले बदलते, मिजाज मूड सारे !
और प्यार की वो पहली नजर…..,
आए करती तरोताज़ा हाव-भाव हमारे !!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान