किया है प्यार भी तुमसे नही भुला मुझको,
अजीब ढंग से साजन नही सता मुझको।
मेरे सनम तू जरा आज कुछ बता मुझको,
हुई अगर है खता यार तू जता मुझको।
खुदा की ये है दुआ,प्यार तुम पे आया भी,
करीब आ चुके जब प्यार तो लुटा मुझको।
दिया है यार ने क्यो आज गम बड़ा हमको,
बिना वजह दे गया आज जलजला मुझको।
कहाँ मिला है सुकूँ आज जग के सताने मे,
तू अपनी आँख का,आँसू कभी बना मुझको।
बयां करे है वो दिल की तुम्हे सभी अब तो,
अजीब हाल है उसका जरा बता मुझको।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़