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बजी दुंदभी वोट की – डॉo सत्यवान सौरभ

बिकते कैसे आदमी, आलू-गाजर भाव ।

देख अगर है देखना, लड़कर एक चुनाव ।।

 

जब भी चुनती बिल्लियां, बन्दर को सरदार ।

हिस्सा उनका चाटता, उनका करे शिकार ।।

 

बने भेड़िये मंत्री, करते हरदम फेर।

कर पायें क्या फैसला, अब जंगल में शेर ।।

 

जिनकी पहली सोच ही, लूट,नफ़ा श्रीमान ।

पाओगे क्या सोचिये, चुनकर उसे प्रधान ।।

 

जनता आपस में भिड़ी, चुनने को सरकार ।

नेता बाहें डालकर, बन बैठे सरदार ।।

 

मोहल्ले से देखिये, मांगे गली तलाक ।

राजनीति सौतन बनी, कटा रही है नाक ।

 

राजनीति में है नही, सदाचार की लाज।

जयचंदर, जाफ़र कहाँ, आते सौरभ बाज।।

 

पहने नेता टोपियां, घूमे आज अनेक ।

देकर वोट जिताइये, नेता सौरभ नेक ।।

 

सच्चे हित की बात जब, इक प्रतिशत के पास।

जन-मन में कैसे बने, बाकी सौरभ खास।।

 

बजी दुंदभी वोट की, आये नेता द्वार।

भाईचारा बस रहे, मन में करो विचार।।

-डॉo सत्यवान सौरभ, 333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,  हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148, 01255281381

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