मनोरंजन

यादों का खज़ाना – प्रतिभा जैन

हाथ में चाय का कप

टेबल पर रखा अख़बार है

कैसे कह दूं कल इतवार है

न दोस्त पुराना है

न आंगन कच्चा है

वो झोपड़ी वाला घर

नीम के नीचे खेलना

पड़ोसी के घर सोना

खेत पर खाना खाना

अब सब यादों का खज़ाना है।

– प्रतिभा जैन, उज्जैन, मध्य प्रदेश

Related posts

विजया घनाक्षरी – प्रियदर्शिनी पुष्पा

newsadmin

प्रफुल्लित मन मेरा, ले रहा अंगड़ाईयाँ – सुरेश बन्छोर

newsadmin

मोती का सपना (कहानी) – भूपेश प्रताप सिंह

newsadmin

Leave a Comment