नित
दिनों-दिन गिर रहा
लोगों का बौद्धिक स्तर !
छिटक रहा तन-मन जीवन…,
और जा रहा भटक ये कहीं इतर !!1!!
अब
रहा नहीं समय
कि, दें किसी को ज्ञान परामर्श !
पर, यदि कोई मांगें हमसे राय…..,
तो, दें सलाह, करें विचार विमर्श !!2!!
पहले
लोग बैठते थे
करते थे आपस में बौद्धिक चर्चाएं !
पर, जब से आए मोबाइल गूगल विद्वान्.,
लेते पूछ सवाल, करते हल समस्याएं !!3!!
आज
इंसान भटक चुका
अपने तय लक्ष्यों रास्तों से !
यही बना बड़ी चिंता का सबब….,
कि, लाएं पुनः कैसे सही रास्ते पे उसे !!4!!
हमें
होगा फिरसे चलना
मानने होंगे पुरानी रीति-नीतियों को !
और अपनानी होंगी हिंदू सनातनधर्म संस्कृति,
तभी निकाल पाएंगे चिंता से बाहर उनको!!5!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान