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दोहा – मधु शुक्ला

गुजर गया जो  यदि वही, वक्त हमें  हो प्राप्त।

सही, गलत को हम करें , दुख को करें समाप्त।।

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अग्नि परीक्षा जिंदगी, लेती है हर वक्त।

नहीं हारता वह कभी, जो कर्मों का भक्त।।

मुक्तक –

करें याद क्यों लोग गुजरा जमाना।

अगर फर्ज अपने न उनको निभाना।

न सम्मान जिसने किया वक्त का वह,

बनाया हमेशा समय का बहाना।

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खार की सेज जिंदगी होती।

प्रेम की शक्ति से बने मोती।

श्रम सुगम राह को बनाता है,

जोश से कीर्ति पग पथिक धोती।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

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