लेखिनी जिंदा हमारी सत्य को मरने न देंगे ।
राजनैतिक झूँठ अपने देश में तरने न देंगे ।
खो दिया हमने उसे तो पास अपने क्या बचेगा ,
राक्षसों को राज अब इस देश में करने न देंगे ।
वो किसानों का सहारा वो जवानों की जवानी ,
देश के इस पुष्प को हम बाग से झरने न देंगे ।
कौन फिर आतंक को बारूद से संदेश देगा ,
पाक के सौदागरों को जहर ये भरने न देंगे ।
देश का उनवान है वो संघ की संतान है वो ,
तप करम हम देवता का पाक को हरने न देंगे ।
वो गया तो जान लेना देश का क्या हाल होगा ,
राज गद्दी पर गधों को पैर हम धरने न देंगे ।
सिर्फ दिल्ली ही नहीं हर शहर उसकी राजधानी ,
गांव की चौपाल ‘हलधर’ महल से डरने न देंगे ।
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून