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पारिवारिक, व्यक्तिगत बाधाओं के निवारणार्थ अचूक सफल प्रयोग – ब्रह्मर्षि वैद्य पंडित नारायण शर्मा कौशिक

neerajtimes.com – काली हल्दी कृष्ण हरिद्रा- काली हल्दी सेवन करने योग्य नहीं है, लेकिन बहुआयामी उपयोगार्थ प्रयुक्त होती है। अनेक प्रकार के दुष्प्रभावों का शमन करने में इसका उपयोग किया जाता है, जो कि जीवन में व्यावहारिक होता है।

प्रयोग नं. 1 : अदृश्य बाधा नाशक तांत्रिक प्रयोग :-

आप काली हल्दी के 7, 9 या 11 दाने (टुकड़े) बनायें। उन्हें धागे में पिरोकर धूप, गुग्गुल या लोबान में धूप करके पहन लेवें। जो व्यक्ति ऐसी माला को गले या भुजा में धारण करता है, वह ग्रह पीड़ा, बाहरी दोष, अदृश्य छाया, टोने-टोटके और नजर आदि से बच सकता है। यानी उक्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह कार्य रवि पुष्य, गुरु पुष्य या अन्य शुभ समय में करें।

प्रयोग नं.- 2 : धनदायक- धन अभिवृद्धि तांत्रिक प्रयोग :-

गुरु पुष्य योग में काली हल्दी को सिन्दूर और धूप देकर लाल वस्त्र में लपेटकर एक-दो मुद्राओं सहित बक्से में रख देवें। इसके प्रभाव से आय के साधन बढ़ेंगे। काम, धंधे की अभिवृद्धि तथा पुराने रुके हुए धन की प्राप्ति का योग बनता है।

प्रयोग नं. 3 : सौन्दर्य साधना प्रयोग :-

काली हल्दी का चूर्ण दूध में छानकर चेहरे और शरीर पर लेप करें तो सौंदर्य में वृद्धि होती है। दूध की प्राप्ति न हो तो पानी और मीठा तेल भी प्रयोग में लिया जा सकता है। यह प्रयोग एक माह तक करें।

प्रयोग नं. 4 : मानसिक परेशानी एवं उन्माद निवारणार्थ प्रयोग :-

किसी भी शुभ दिवस पर पंसारी से काली हल्दी लेकर आवें, उसे शुद्ध जल में भिगोकर शुद्ध गीले कपड़े से पोंछकर कटोरी में रखें और लोबान या धूप की धूनी देकर शुद्ध कर लें फिर कपड़े में लपेटकर रख दें। जरूरत पडऩे पर इसका एक माशा चूर्ण ताजे पानी के साथ सेवन करायें तथा एक छोटा-सा टुकड़ा काटकर उसे धागे में पिरोकर रोगी के गले या भुजा में बांध दें। इससे उन्माद, मिर्गी, पागलपन, भ्रांति, अनिद्रा जैसे मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।

प्रयोग नं. 5 : वशीकरण प्रयोग-

चन्दन की भांति ही काली हल्दी का टीका भी लगाया जा सकता है। यह टीका सम्मोहनकारी होता है। टीके के बीच में अपनी कनिष्ठा अंगुली का रक्त लगाने से अधिक प्रभावशाली बनता है।

प्रयोग नं. 6 : मंत्र साधना प्रयोग तंत्र साधना नियमानुसार करें।

मंत्र : ऊँ श्रीं हीं क्लीं श्रीं लक्ष्म्यै नम:॥ श्री गणेशाय नम:॥ ऊँ हीं श्रीं क्लीं महालक्ष्मीं श्री पद्यावत्यै नम: नम:॥ महालक्ष्मी-महाकाली-महादेवी महेश्वरी। महामूर्ति महामाया महाधर्मेश्वरी अर्हं। मुक्तमाला धरा मया महामेधा महोदरी॥ महाजन्ती जगत्माता महामुद्योतिनी अर्हं॥

विधि- महाशक्ति भगवती महालक्ष्मी के ये षोडष नाम युक्त स्त्रोत का जो साधक नित्य पाठ करता है, उस पर लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहकर भण्डार भरपूर रखती है। 1108 दिन तक यह पूजन करें तो विशेष कृपा भी बन जाती है, जो चमत्कारिक होती है।

प्रयोग नं. 7 : श्वेतार्क गणपति के अद्भुत प्रयोग :-

श्वेतार्क गणपति का तांत्रिक प्रयोग मूल श्वेतार्क गणपति प्रतिमा से किया जाता है। शुद्धता से श्वेतार्क गणपति की स्थापना करें। फिर पूजा हेतु श्वेतार्क गणपति को शुद्ध जल से स्नान करावें, धोएं और लाल कपड़े पर स्थापित करें। पूजा में लाल चन्दन, अक्षत, लाल पुष्प, सिन्दूर का प्रयोग किया जाता है। धूप-दीप देकर नैवेद्य के साथ कोई सिक्का अर्पित करें फिर गणेशजी का निम्नलिखित मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र द्वारा जप करके सिद्धि करें।

मंत्र :- 1. ऊँ गं गणपतये नम:, 2. ऊँ ग्लैं गणपतये नम:, 3. श्री गणेशाय नम:, 4. ऊँ भालचन्द्राय नम:, 5. ऊँ एकदन्ताय नम:, 6. ऊँ लम्बोदराय नम:।

उपयोग एवं लाभ- घर की दरिद्रता का विनाश होता है। मांगलिक कार्य की बाधा हो तो सफलता मिलती है।  जीवन में उन्नति होती है। ग्रह बाधा एवं शत्रुता का शमन होता है। सौभाग्य प्राप्त होता है। विशेष लाभ हेतु श्री गणेशोपासना करके यज्ञादि करना चाहिए।  (विनायक  फीचर्स)

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