मनोरंजन

दिव्यांजली – सुनील गुप्ता

(1) ” दि “, दिखाके हमें सत्य का पथ

बीच राह में छोड़ जाना मत  !

एक आप ही हो हमारा आसरा.,

जिनसे सीखा है हमने बहुत  !!

 

(2) ” व् “, व्यस्त रहती हो आप यहां पे

चला रही हो साहित्यिक मंच को !

पटल पे बनी रहती सदा सक्रिय.,

और श्रीराम कृपाएं मिल रही आपको !!

 

(3) ” यां “, यांत्रिकी सा हो चला है जीवन

मची हुई है आपाधापी चहुँ ओर  !

ऐसे में आप बनी हो सदप्रेरणा.,

ले चल रही हो आनंद मार्ग पर !!

 

(4) ” ज “, जल में रहकर ही सदैव यहाँ

खिलता आया है पुष्प कमल  !

और आप बनी रहोगी हमेशा ही..,

दिव्यज्ञान ज्योति पुंज हरेक पल !!

 

(5) ” ली “, लीक से हटके ही सदैव यहाँ

किया है आपने उत्तम कार्य  !

श्रीराम साहित्य सेवा संस्थान से जुड़के,

बनी हो सभीके लिए आनंद पर्याय !!

 

(6)” दिव्यांजली “,है एक आशा की किरण

जिसके साए में खिलते, शुभानन सभी के !

आपको मिलता रहेगा सहयोग हर पल-क्षण,

यही करते आपसे वादा हम सभी मिलके !!

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