पीत वर्ण की पहने पगड़ी ,
बदन पर ओढे हरियाली अनंत।
ओस की बूंदों की पनही पग में,
मस्त चाल में आया बसंत।
मस्त चाल में आया बसंत,
अनंत खुशियों की लेकर सौगात।
नव पल्लव के अंकुर फूटे,
देकर शिशिर सितम को मात।
खेतों में गेंहू की बाली लहरायी,
सरसों की फसल बनी सोना।
घासों की हरियाली दिखती ऐसी,
जैसे घरती का हरा बिछौना।।
– हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश