हर तरफ उजास,प्रमुदित हैं तरु पल्लव सभी,
छा रहा उल्लास, उन्मीलित सभी कलियां जगी।
चूमते प्रेमी भ्रमर झुककर सुमन मुख हो मुखर,
नृत्य करती तितलियां, मुदित मना अनुराग भर।
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फले ललित यह कामना, सुख बरसे चहुँ ओर,
सिंदूरी सूरज उगे, मंगल मय हो भोर।
पंछी वंदन कर उड़ें,कोयल मंगल गीत,
राम सदा चित में बसें,जीवन हो संगीत।।
– डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड