(1) ” श्री “, श्रीहरि
मूरत देख मनोहारी
धन्य हुआ ये जीवन सारा !
नयनों ने छवि हृदय में उतारी…….,
देख नाच उठा तन-मन अद्भुत नज़ारा!!
(2) ” रा “, राघव
बाल स्वरूप में निहारें
देखें अपलक बिनु झपकाएं नयना !
मानो स्वयं प्रभु हैं आज पधारे.,
पहन आएं अप्रतिम दिव्य गहना !!
(3) ” म “, महादेवाभिपूजित
सभी के सरस सरल
हैं श्रीराम पीतांबरधारी !
अलौकिक भव्य दिव्य मूरत विरल…..,
देखने उमड़ी नगरी अयोध्या सारी !!
(4) ” ल “, ललाट पे
विराजे तिलक कुमकुम
लगें श्रीकरुणा निधान अति न्यारे !
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम…..,
बनें भक्तजनों के अति दुलारे प्यारे !!
(5) ” ला “, लाल कौशल्या
श्रीदशरथ सुत राम
कहलाए श्री अवध बिहारी !
सर्वतीर्थमय बना मनोहर अयोध्या धाम..,
हैं शाश्वत जानकी वल्लभ श्रीहरि !!
(6) ” श्रीरामलला “, श्रीरामलला
पधार रहे हैं अयोध्या
बज रही है चहुँ ओर रामधुन !
शुभानन भक्तों का खिला हर्षाया,
दिखें सर्वदेवाधिदेव अति प्रसन्न !!
(7)”श्रीरामलला”,श्रीरामलला
साकेत महल में आ विराजें
बनें सौम्य सच्चिदानंद विग्रह रुप !
आ रहे देखने भक्तगण सजे धजे..,
बना अयोध्या दिव्य परंधाम स्वरूप!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान