मनोरंजन

मोहि कहाँ विश्राम – सुनील गुप्ता

है काज बहुत

पर, समय है कम

और राह नहीं बिल्कुल आसान  !

श्रीराम काजु कीन्हें बिनु…..,

है मोहि कहाँ तनिक विश्राम !!1!!

 

धन्य भाग्य मेरा

जताया मुझ पर विश्वास

और सौंप दिया दुष्कर नेककाम  !

दिलाए भरोसा फिर परवाज़ भरी…..,

श्रीहनुमंत पहुंचे लेते रामनाम  !!2!!

 

कठिन थी डगर

था वहाँ घुसना आसां नहीं

तोड़ मायाजाल पहुंचे सीधे लंका  !

माँ जानकी के किए दर्शन……,

और बजा डाला लंका का डंका !!3!!

 

स्वर्ण नगरी को

जला डाला पलभर में

और किया लंकेश को सावधान  !

यदि चाहता है तू अपनी खैर……,

तो जा मांगले श्रीराम से क्षमादान!!4!!

 

अहंकारी लंकापति को

गए सभी समझाए हारे

पर, सुनी ना उसने किसी की बात  !

काल को कौन भला टाल सका…..,

आखिर आ पहुंची उसकी अंतिम रात !!5!!

 

हुआ भीषण युद्ध

फिर कांप उठी नगरी

और गयी पूरी रावण सेना मारी  !

अंततोगत्वा, गए दशानन भी मारे…..,

और हुयी श्रीराम सेना की विजय भारी !!6!!

 

अहंकारी का मानमर्दन

करके श्रीराम ने दिया संदेश

कि, होती जीत सत्य की आई  !

कभी ना लें छद्मावरण का सहारा….,

यहाँ होए वही,जो चाहें राम रघुराई !!7!!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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