है काज बहुत
पर, समय है कम
और राह नहीं बिल्कुल आसान !
श्रीराम काजु कीन्हें बिनु…..,
है मोहि कहाँ तनिक विश्राम !!1!!
धन्य भाग्य मेरा
जताया मुझ पर विश्वास
और सौंप दिया दुष्कर नेककाम !
दिलाए भरोसा फिर परवाज़ भरी…..,
श्रीहनुमंत पहुंचे लेते रामनाम !!2!!
कठिन थी डगर
था वहाँ घुसना आसां नहीं
तोड़ मायाजाल पहुंचे सीधे लंका !
माँ जानकी के किए दर्शन……,
और बजा डाला लंका का डंका !!3!!
स्वर्ण नगरी को
जला डाला पलभर में
और किया लंकेश को सावधान !
यदि चाहता है तू अपनी खैर……,
तो जा मांगले श्रीराम से क्षमादान!!4!!
अहंकारी लंकापति को
गए सभी समझाए हारे
पर, सुनी ना उसने किसी की बात !
काल को कौन भला टाल सका…..,
आखिर आ पहुंची उसकी अंतिम रात !!5!!
हुआ भीषण युद्ध
फिर कांप उठी नगरी
और गयी पूरी रावण सेना मारी !
अंततोगत्वा, गए दशानन भी मारे…..,
और हुयी श्रीराम सेना की विजय भारी !!6!!
अहंकारी का मानमर्दन
करके श्रीराम ने दिया संदेश
कि, होती जीत सत्य की आई !
कभी ना लें छद्मावरण का सहारा….,
यहाँ होए वही,जो चाहें राम रघुराई !!7!!
सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान