परीक्षा बालकों की जब कभी नजदीक आती है।
सदा अभिभावकों की नींद उनसे रूठ जाती है।
पिता माँ चाह रखते हैं अधिकतम अंक की जिससे।
सुनो बेटा न खेलो तुम पढ़ो हरदम कहें हठ से।
अधिक चिंता पढ़ाई की न बचपन को लुभाती है – – – -।
हुई शिक्षा समय के साथ मँहगी और दुष्कर भी।
बड़ी है बात यह उससे न मिलता काम उस पर भी।
इसी से पालको को हर घड़ी चिंता सताती है….. ।
करें कैसे सुखद संतान का कल ये परीक्षा है।
इसी के हेतु अभिभावक दिलाता श्रेष्ठ शिक्षा है।
गुजरते सब परीक्षा से परीक्षा ज्ञान दाती है……. ।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश