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कहाँ थे अब तक? – अनुराधा पांडेय

कौन हो तुम! पूछना अब,

त्याग कर लो आ गयी हूँ।

 

कौन हूँ मैं किन्तु प्रियवर !

आज तो इतना बताओ ।

आदि क्या औ अंत मेरा ?

बस मुझे यह जानना है ।

कह रहे सब कंत तुम हो ,

जानकर पर मानना है ।

आज तो मेरे प्रणय की..

मूर्त-सी मूरत दिखाओ ।

 

कौन हूँ मैं किन्तु प्रियवर,

आज तो इतना बताओ ।

मैं महज या मात्र तुम हो ,

सत्य ये या सत्व वो है ।

हूँ यदि तुम में समाहित ,

क्या प्रिये ! अमरत्व वो है ।

देखना मैं चाहती हूँ,

बोध को दर्पण बनाओ ।

कौन हूँ मैं किन्तु प्रियवर,

आज तो इतना बताओ ।

 

ज्ञात यह होता न मुझको ,

क्यों बही जाती तुम्हीं में ?

कौन सा वह सार जिससे ,

मात्र रह पाती तुम्हीं में।

तथ्य यह उद्भेद कर दो

इन दृगों को सच दिखाओ ।

 

कौन हूँ मैं किन्तु प्रियवर!

आज तो इतना बताओ।

– अनुराधा पांडेय , द्वारिका, दिल्ली

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