मनोरंजन

अहसास – ज्योति श्रीवास्तव

प्यार  तो  ईश्वर  का  ही  इक नाम है,

पा  लिया समझो  वही  सब  धाम हैं ।

 

प्रेम  में  जब  से मिलन उनसे हुआ,

धड़कने  भी  बस   पुकारे  श्याम है।

 

आ  के  पहलू  में  कभी  बैठो  ज़रा,

हर मरज  से  मिल जाये आराम  है।

 

राज़  उल्फत  का  करें  इकरार जब,

वो   मुहोब्बत   का  हसीं  पैगाम  है।

 

महफ़िलें   रौशन   हुई  सरकार की,

मुफलिसी  में  जी  रही  आवाम  है।

 

जब कहीं तुझको अगर  हम देख ले,

बन  नज़र  जाती  सनम  खय्याम है।

 

हमसफर  बन  साथ  रहना तुम  मेरे,

ये खुदा का “ज्योति” बस इकराम है।

– ज्योति वरुण श्रीवास्तव,नोएडा, उत्तर प्रदेश

Related posts

ग़ज़ल हिंदी – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

रानी दुर्गावती-जनकल्याण और शौर्य का शिखर – डॉ. मोहन यादव

newsadmin

गजल – रीता गुलाटी

newsadmin

Leave a Comment