मनोरंजन

गजल – ऋतु गुलाटी

यार इक बात अब बतानी है,

इक हकीकत तुम्हें सुनानी है।

 

हुस्न क्यों तड़फता रहा हरदम,

सोचता आग दिल बुझानी है।

 

साँस मेरे अजी समाये हो,

बात करते लगे जुबानी है।

 

दिख रहें  यार कुछ परेशा से,

ली  छुपा दर्द की कहानी है।

 

ढो रहे  दर्द कब से सीने पर,

जख्म ही प्यार की निशानी है।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , पंजाब

Related posts

न्याय – (लघुकथा)

newsadmin

ग़ज़ल – ज्योत्सना जोशी

newsadmin

कवि अशोक कुमार यादव हुए सम्मानित

newsadmin

Leave a Comment