मौत एक कविता,अमर रचना हैं ईश्वर की ….
शांत सुरों की,बिना लय ताल की …
इसके शांत स्वर,बजने लगते हैं कानो में…
एकाएक आने लगती है आहट …
अचानक स्वरों को सुनने,
धुनों को पहचानने की,
की जाती है कोशिश …
मगर,हो जाती है ये निरर्थक …
अमर कृति है ये ईश्वर की,
जो शांत और स्पन्दनहीन
करती है …
प्रत्येक सुर स्वर को,अपनी पदचापों से…
नव जीवन लय-ताल स्पंदन ,सुर स्वर
प्रदान करने के लिए …
– सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर