Neerajtimes.com- हम सबके अंदर भी एक बच्चा छुपा होता है, जिम्मेदारियों का आवरण ओढते, वह बच्चा कहीं खो सा जाता है। आज भी बरसात के पानी में छप छप करना, कागज़ की कश्ती चलाना, दोस्तों के संग बेपरवाह बातें करना, बिना चिंता के इधर-उधर घूमना, हम सबको बहुत भाता है।
तो चलिए दोस्तों ,अपने मन के बच्चे को हमेशा जिंदा रखिए। कभी-कभी कुछ बचकानी हरकतें करिए। कुछ सुकून के पल दोस्तों के संग बिताइए और कभी-कभी बच्चा भी बन जाइए। “आखिर दिल तो बच्चा ही है! ” – रेखा मित्तल, सेक्टर-43, चंडीगढ़