मनोरंजन

गजल – ऋतु गुलाटी

मुझे  साथ तेरा  मिला  ही  नही है।

सनम आपसे क्यो गिला ही नही है।

 

उदासी लबो पर जमाने के छायी।

सहारा को छोड़ो दया ही नही है।

 

गलत मानते हैं जुदाई को हमदम।

जुदाई से बढ़कर सजा ही नही है।

 

लिखा है जो किस्मत मे मिलना जरूरी।

मुलाकात होगी पता ही नही है।

 

अजी कौन कहता है बातें निराली।

नदी को किनारा मिला ही नही है।

 

लगी आग दिल मे हमारे बड़ी थी।

मगर दर्द दीपक बुझा ही नही है।

– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली चंडीगढ़

Related posts

ग़ज़ल – शिप्रा सैनी

newsadmin

सबको बताना सही है – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

गजल – रीतूगलाटी

newsadmin

Leave a Comment