मनोरंजनकविता – सन्तोषी दीक्षित by newsadminMarch 14, 20230391 Share0 भावों की स्याही में डुबोकर, कागज पर है कलम चलाई। अक्षर अक्षर जोड़ के हमने, शब्दों की इक माला बनाई। उसमें पिरोये प्रेम के मोती, धवल चांदनी उनको धोती। संवेदना का धागा लगाया, तब जाकर कविता बन पाई। – सन्तोषी दीक्षित देहरादून, उत्तराखंड