मनोरंजन

मेरी कलम से – सन्तोषी दीक्षित

आंखों के हर आंसू की इक, अपनी कहानी है,

लगता है क्यों सबको, नमकीन सा पानी है।

कभी गमों में बहता ,कभी खुशी में बहता,

खामोश रह कर करता जज़्बात बयानी है।

<>

ख्वाब आंखों में बसा लेने दो फिर आ जाना,

दिल में जज़्बात जगा लेने दो फिर आ जाना ।

मेरी खामोशियां तन्हाइयों की साथी हैं,

जरा महफ़िल को सजा लेने दो, फिर आ जाना।

– सन्तोषी दीक्षित देहरादून, उत्तराखंड

Related posts

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

newsadmin

बसंत – झरना माथुर

newsadmin

मैं लिखूंगी – सुनीता मिश्रा

newsadmin

Leave a Comment