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मां तेरा गुणगान करूं – कालिका प्रसाद

हे मां वागेश्वरी नित्य तेरी वंदना करुं,

मां तुम  ज्ञान  विज्ञान  दायिनी हो,

मां हमें  सुविचार   और  विवेक दे,

मां नित्य तेरा ही  गुणगान  करुं।

 

हे मां शारदे मेरे शब्दों में लालित्य दे,

तुम स्वर व्यंजन से पूरित करती हो,

तुम बुद्धि विलास  राह बताती हो,

मां  नित्य  तेरा ही  गुणगान  करूं।

 

मां  तुम   विद्या  की  देवी  हो,

शब्दों में शक्ति  प्रदान करती हो,

जड़ता में संचेतना भरने वाली हो,

मां नित्य तेरा ही गुणगान  करूं।

 

मां  तुम तमस नाशनी सुपावनी हो,

मां कुबुद्धि हरण व दया धात्री हो,

चंचल मन को स्थिरता  देती हो,

मां नित्य तेरा ही गुणगान करूं।

 

मां हम पर ऐसी  करुणा करो,

राह   से   कभी   भटकूं  नहीं

मां हर   प्राणी   से स्नेह  करू,

मां नित्य तेरा ही गुणगान करुं।

– कालिका प्रसाद सेमवाल

मानस सदन अपर बाजार

रुद्रप्रयाग उत्तराखंड

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