मनोरंजन

कदम – सुनीता मिश्रा

उठ गये थे कदम

तुम्हारी ओर

यूँ ही चलते चलते….

हो रही थी हर पल

यह इच्छा कि

काश तुम भी

मेरे साथ होते….

कदम तो उठ

रहे थे तुम्हारी

तरफ…

पर यह कहना

मुश्किल था

कि कदम उठ रह थे

या घसीट रही थी

मैं…

पर इच्छा है

तुमको पाने की…

नहीं है मतलब

कोई

कदम उठा रही हूँ

या घसीट रही हूँ

पहुँचने के लिए

तुम तक….

पाकर तुमको

पाने को तुम्हारा

अपार प्यार…

✍️ सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर

Related posts

तुम नहीं तो मैं नहीं – अनुराधा पाण्डेय

newsadmin

महाकवि प्रभात की 39 वीं पुण्य स्मृति विशेष में आयोजित काव्यांजलि का हुआ समापन

newsadmin

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

Leave a Comment