कहाँ दुनिया में घर मे लोग अब मेहमान रखते हैं।
जहाँ देखो अजी घर मे, सभी शैतान रखते हैं।
तुम्हारी याद भी यारा हमे दिलबर सताती थी।
मुहब्बत मे कहाँ भूले अजी पहचान रखते हैं।
सुनी तेरी वो हमने प्यार की बाते सुकूँ वाली।
सजी महफिल कहे तुमसे अरे कद्रदान रखते हैं।
नही डरते किसी इम्तिहान से यारो दुनिया मे।
जिते है जिंदगी को हम बड़ी ही शान रखते हैं।
नही औकात जीने की,अरे उनका दिखावा बस।
कई हैं जो यहाँ बस शौक से दरबान रखते हैं।
– ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , चंडीगढ़