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हिंदी ग़ज़ल – जसवीर सिंह हलधर

चंद लोगो के कथन से लहकता है राजपथ ।

मज़हबी चिंगारियों से दहकता  है राजपथ ।

 

राक्षसी वातावरण है देश का ख़ुद देख लो ,

खून खद्दर में छुपाकर चहकता है राजपथ ।

 

लाज़ अबला की लुटी फिर मोमबत्ती जल उठी ,

मौत पर दो शब्द कहकर दुबकता है राजपथ ।

 

चित्र नकली मित्र नकली पित्र नकली हो गए ,

इत्र गांधी का लगाकर  महकता है राजपथ ।

 

शोर से संसद घिरी संवाद सच से दूर है ,

प्रश्न पर अंगार सा क्यों भभकता है राजपथ ।

 

रोग का उपचार केवल नागरिक कानून में ,

मौन साधे राह से क्यों बहकता है राजपथ ।

 

खेत में हल्कू मरा तो मौन व्रत धारे रहा ,

अब पुराली जल रही तो धधकता है राजपथ ।

 

नाम “हलधर” का लिखा है बागियों की सूची में ,

सामना सच से हुआ तो मचलता है राजपथ ।

– जसवीर सिंह हलधर , देहरादून

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