दौलत का लालच, बन गई भयंकर बीमारी,
जकड़ गई इसमें देखो, सारी दुनिया बेचारी।
दफ्तर के हर कौने में, दिखते हैं रिश्वतखोर,
भ्रष्टाचार का बोलबाला, मचा है चारों ओर।
हर कोई करना चाहे, पैसों से जेब को भारी,
जकड़ गई इसमें देखो, सारी दुनिया बेचारी।
रुपयों का महत्व, रिश्तों से ज्यादा बढ़ गया,
दौलत का नशा, सम्पूर्ण विश्व पर चढ़ गया।
दौलत ने ही चढ़ाई, इंसान पर ऐसी खुमारी,
जकड़ गई इसमें देखो, सारी दुनिया बेचारी।
इसके कारण आए, जीवन में अनेक विकार,
मद्यपान का रोग लगा, और फैला व्यभिचार।
धन के लिए लोगों ने, ईमानदारी भी दुत्कारी,
जकड़ गई इसमें देखो, सारी दुनिया बेचारी।
हर कोई जानता इससे, पेट कभी ना भरता,
किंतु पशु तुल्य होकर, मानव इसको चरता।
मां बाप भाई के बदले, दौलत सबको प्यारी,
जकड़ गई इसमें देखो, सारी दुनिया बेचारी।
– मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर मोबाइल- 9460641092