बिना संस्कार जीवन में प्रगति कोई नहीं करता ,
रहे यदि पास नैतिकता नहीं पथ मनु भटक सकता।
सभी माता पिता संस्कार बच्चों को दिया करते,
ग्रहण मन से करे जो भी नहीं कर्तव्य से डिगता।
अराजकता न फैले इसलिए कानून बनते हैं,
यही हम रीति अपनाते तभी परिवार खुश रहता।
सहारे प्राप्त होते हैं हमें संस्कार के कारण,
रखें संस्कार ही जीवित दिलों में प्यार मानवता।
मिली संस्कार से पहचान भारत देश को न्यारी,
मधुर रिश्ते बनें रहती जगत में व्याप्त समरसता।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश